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Mon Sep 9, 2024

Your Ultimate Guide to CGPSC: Chhattisgarh Public Service Commission Exam

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छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग का सामान्य परिचय

परिचय (Introduction):

सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के दौरान ज़्यादातर अभ्यर्थी राज्य सिविल सेवा (पी.सी.एस.) परीक्षाओं में भी सम्मिलित होते हैं। यह प्रवृत्ति हिंदी भाषी राज्यों के अभ्यर्थियों में अधिकांशत: देखने को मिलती है। मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ मूल के अभ्यर्थियों के अलावा सिविल सेवा की तैयारी करने वाले अन्य राज्यों के अभ्यर्थियों (विशेषकर हिंदी माध्यम) के लिये भी छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (सी.जी.पी.एस.सी.), रायपुर द्वारा आयोजित परीक्षाएँ विकल्प होती हैं। प्रश्नों की प्रकृति एवं प्रक्रिया में अंतर होने के बावजूद सिविल सेवा प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा के पाठ्यक्रम के अध्ययन की सी.जी.पी.एस.सी. की इन परीक्षाओं में सार्थक भूमिका होती है। इसलिये सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्र इन परीक्षाओं में भी सफल होते हैं।

आयोग द्वारा आयोजित परीक्षाएँ:

  • छत्तीसगढ़ में राज्य आधारित सरकारी, अर्द्ध-सरकारी, न्यायिक एवं अन्य अधीनस्थ सेवाओं का आयोजन मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (सी.जी.पी.एस.सी.), रायपुर द्वारा किया जाता है।
  • इस आयोग द्वारा आयोजित सर्वाधिक लोकप्रिय परीक्षा ‘छत्तीसगढ़ राज्य सेवा परीक्षा’ है।
  • छत्तीसगढ़ राज्य सेवा परीक्षा’ को प्रायः ‘सी.जी.पी.सी.एस.’ के नाम से भी जाना जाता है।

सी.जी.पी.सी.एस. परीक्षा- प्रकृति एवं प्रक्रिया

परीक्षा की प्रकृति:

आयोग द्वारा आयोजित इस प्रतियोगी परीक्षा में सामान्यत: क्रमवार तीन स्तर सम्मिलित हैं-

1. प्रारम्भिक परीक्षा– वस्तुनिष्ठ प्रकृति

2. मुख्य परीक्षा- वर्णनात्मक प्रकृति

3. साक्षात्कार- मौखिक

परीक्षा की प्रक्रिया

1. प्रारम्भिक परीक्षा की प्रक्रिया:

  • सर्वप्रथम आयोग द्वारा इन परीक्षाओं से सम्बंधित विज्ञप्ति जारी की जाती है। उसके पश्चात् ऑनलाइन आवेदन फॉर्म भरने की प्रक्रिया शुरू होती है। फॉर्म भरने की प्रक्रिया सम्बंधित विस्तृत जानकारी ‘विज्ञप्ति’ के अंतर्गत ‘ऑनलाइन आवेदन कैसे करें?’ शीर्षक में दी गई होती है।
  • विज्ञप्ति में उक्त परीक्षा से सम्बंधित विभिन्न पहलुओं का विस्तृत विवरण दिया गया होता है। अत: फॉर्म भरने से पहले इसका अध्ययन करना लाभदायक रहता है।
  • फॉर्म भरने की प्रक्रिया समाप्त होने के बाद सामान्यतः 2 से 3 माह पश्चात् प्रारम्भिक परीक्षा आयोजित की जाती है।
  • यह प्रारंभिक परीक्षा एक ही दिन आयोग द्वारा निर्धारित राज्य के विभिन्न केन्द्रों पर सम्पन्न होती है।
  • आयोग द्वारा आयोजित इस प्रारम्भिक परीक्षा की प्रकृति वस्तुनिष्ठ (बहुविकल्पीय) होती है, जिसके अंतर्गत प्रत्येक प्रश्न के लिये दिये गए चार संभावित विकल्पों (a, b, c एवं d) में से एक सही विकल्प का चयन करना होता है।
  • प्रश्न से सम्बंधित इस चयनित विकल्प को आयोग द्वारा दिये गए ओएमआर सीट में उसके सम्मुख दिये गए सम्बंधित गोले (सर्किल) में उचित स्थान पर काले बॉल पॉइंट पेन से भरना होता है।
  • सी.जी.पी.एस.सी. द्वारा आयोजित इस परीक्षा में गलत उत्तर के लिये नेगेटिव मार्किंग का प्रावधान किया गया है। प्रत्येक गलत उत्तर के लिए सही उत्तर हेतु निर्धारित अंक का 1/3 अंक काटे जायेंगे।
  • प्रारम्भिक परीक्षा में कट-ऑफ का निर्धारण सिर्फ प्रथम प्रश्न पत्र अर्थात सामान्य अध्ययन में प्राप्त अंको के आधार पर किया जायेगा
  • यदि अभ्यर्थी किसी प्रश्न का एक से अधिक उत्तर देता है, तो उस उत्तर को गलत माना जाएगा, इस प्रकार दिये गए उत्तरों में से एक सही भी उत्तर हो, फिर भी उस प्रश्न के लिये उपरोक्तानुसार ही उसी तरह का दण्ड दिया जाएगा।
  • यदि अभ्यर्थी द्वारा कोई प्रश्न हल नहीं किया जाता है, अर्थात अभ्यर्थी द्वारा उत्तर नहीं दिया जाता है, तो उस प्रश्न के लिये कोई दण्ड नहीं होगा।
  • प्रश्नपत्र दो भाषाओं (हिंदी एवं अंग्रेजी) में दिये गए होते हैं, किसी भी शब्द/वाक्य में भाषा विवाद की स्थिति में हिंदी भाषा में लिखे शब्द/वाक्य को आधार माना जाएगा।
  • हिंदी भाषा ज्ञान और छत्तीसगढ़ी भाषा से सम्बंधित प्रश्न उसी भाषा में होंगे, इनका अनुवाद उपलब्ध नहीं होगा।
  • आयोग द्वारा वर्ष 2012 में इस प्रारम्भिक परीक्षा की प्रकृति में बदलाव किया गया जिसके अनुसार द्वितीय प्रश्नपत्र में पूछे जाने वाले वैकल्पिक विषय (वस्तुनिष्ठ) के स्थान पर ‘योग्यता परीक्षण’ (एप्टिट्यूड टेस्ट) के प्रश्नपत्र को अपनाया गया।
  • वर्तमान में आयोग की इस प्रारम्भिक परीक्षा में दो अनिवार्य प्रश्नपत्र (सामान्य अध्ययन एवं योग्यता परीक्षण) पूछे जाते हैं, जिसकी परीक्षा एक ही दिन दो विभिन्न पारियों में दो-दो घंटे की समयावधि में सम्पन्न होती है। ‘योग्यता परीक्षण’ के प्रश्नपत्र को ‘सीसैट’ (सिविल सर्विस एप्टिट्यूड टेस्ट) के नाम से भी जाना जाता है।
  • यह प्रारम्भिक परीक्षा कुल 200 अंकों की होती है।
  • प्रथम प्रश्नपत्र ‘सामान्य अध्ययन’ का है, जिसमें प्रश्नों की कुल संख्या 100 एवं अधिकतम अंक 200 निर्धारित हैं।
  • द्वितीय प्रश्नपत्र ‘योग्यता परीक्षण’ का है, जिसमें प्रश्नों की कुल संख्या 100 एवं अधिकतम अंक 200 निर्धारित हैं। द्वितीय प्रश्न पत्र क्वालीफाइंग पेपर के रूप में है।
  • इस परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिये सामान्यत: 50-60% अंक प्राप्त करने की आवश्यकता होती है, किन्तु कभी-कभी प्रश्नों के कठिनाई स्तर को देखते हुए यह प्रतिशत कम भी हो सकती है।
  • प्रारम्भिक परीक्षा की प्रकृति क्वालिफाइंग होती है। इसमें प्राप्त अंकों को मुख्य परीक्षा या साक्षात्कार के अंकों के साथ नहीं जोड़ा जाता है।

नोट:

  • प्रत्येक प्रश्नपत्र में अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को न्यूनतम 33% अर्हकारी अंक तथा आरक्षित वर्ग एवं विकलांग श्रेणी के अभ्यर्थियों को न्यूनतम 23% अर्हकारी अंक प्राप्त करना अनिवार्य होगा।

  • द्वितीय प्रश्नपत्र योग्यता परीक्षा अर्हकारी प्रकृति की होगी। इस प्रश्न में अभिप्राप्त अंको को, मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यर्थीयों के चयन के लिए प्रावीण्य सूची तैयार करते समय नहीं जोड़ा जायेगा। प्रथम प्रश्न पत्र - सामान्य अध्ययन की प्रावीण्य सूची के आधार पर मुख्य परीक्षा के लिये अभ्यर्थियों का चयन किया जाएगा।

2.मुख्य परीक्षा की प्रक्रिया:

  • प्रारम्भिक परीक्षा में सफल हुए अभ्यर्थियों के लिये मुख्य परीक्षा का आयोजन आयोग द्वारा निर्धारित राज्य के विभिन्न केन्द्रों पर किया जाता है।
  • वर्ष 2018 में हुये नवीन संशोधन 13 फ़रवरी 2019 छत्तीसगढ़ राजपत्र में प्रकाशित पाठ्यक्रम के अनुसार अब इस मुख्य परीक्षा में सात अनिवार्य प्रश्नपत्र पूछे जाएंगे। जिसमें प्रथम दो प्रश्नपत्र क्रमशः 'भाषा' एवं 'निबन्ध' से तथा अन्य पाँच प्रश्नपत्र सामान्य अध्ययन ('इतिहास, संविधान एवं लोक प्रशासन', 'विज्ञान, प्रौद्योगिकी, योग्यता परीक्षण, तार्किक योग्यता व बुद्धिमत्ता एवं पर्यावरण', 'अर्थव्यवस्था एवं भूगोल', 'दर्शन एवं समाजशास्त्र’ तथा कल्याणकारी, विकासात्मक कार्यक्रम एवं कानून, अंतराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय खेल, घटनाए एवं संगठन एवं शैक्षणिक संस्थाए एवं मानव विकास) से सम्बंधित है| इसकी विस्तृत जानकारी 'विज्ञप्ति का संक्षिप्त विवरण' के अंतर्गत 'पाठ्यक्रम' शीर्षक में दी गई होती है।
  • मुख्य परीक्षा के प्रश्न परम्परागत प्रकार के लघु, मध्यम एवं दीर्घ उत्तरीय प्रकार के होते हैं। इसमें प्रश्नों के उत्तर की शब्द सीमा (30 शब्द, 60 शब्द, 100 शब्द, 125 शब्द एवं 175 शब्द) का ध्यान रखा जाता है। इन सभी प्रश्नों के उत्तर को आयोग द्वारा दिये गए उत्तर-पुस्तिका में अधिकतम तीन घंटे की समय सीमा में लिखना होता है।
  • मुख्य परीक्षा कुल 1400 अंकों की होती है जिसमें सभी प्रश्नपत्रों (7 प्रश्नपत्र) के लिये अधिकतम 200-200 अंक निर्धारित किया गया है।
  • प्रथम प्रश्नपत्र ‘भाषा’ को छोड़कर अन्य सभी प्रश्नपत्रों का उत्तर अभ्यर्थी अपनी इच्छानुसार केवल हिंदी या अंग्रेजी में दे सकेंगे, किन्तु किसी भी प्रश्नपत्र का उत्तर अंग्रेजी और हिंदी में अंशत: नहीं दिया जा सकेगा।
  • द्वितीय प्रश्नपत्र (निबंध) में दो भाग (राष्ट्रीय स्तर की समस्याएँ एवं छत्तीसगढ़ राज्य की समस्याएँ) होंगे। अभ्यर्थी को प्रत्येक भाग से दिये गए चार-चार विकल्पों में से किसी दो-दो विकल्प का चयन कर समस्या-समाधान (कारण, वर्तमान स्थिति आँकड़ों सहित एवं समाधान) पर लगभग 750-750 शब्दों में कुल चार निबंध लिखना होगा।
  • तृतीय प्रश्नपत्र से लेकर सातवें प्रश्नपत्र तक प्रत्येक प्रश्नपत्र 5 खंडों में विभाजित होगा। इसमें प्रत्येक खंड से क्रमशः 30 शब्द, 60 शब्द, 100 शब्द, 125 शब्द एवं 175 शब्द के प्रश्न पूछे जाएंगे।
  • परीक्षा के इस चरण में सफलता प्राप्त करने के लिये सामान्यत: 60-65% अंक प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। हालाँकि पाठ्यक्रम में बदलाव के कारण यह प्रतिशत कुछ कम भी हो सकता है। पूर्व की भाँति ही इन प्रश्नपत्रों में प्राप्त किये गए अंक मेधा सूची में जोड़े जाएंगे।
  • परीक्षा के सभी विषयों में कम से कम शब्दों में की गई संगठित, सूक्ष्म और सशक्त अभिव्यक्ति को श्रेय मिलेगा।

3.साक्षात्कार की प्रक्रिया:

  • मुख्य परीक्षा मे चयनित अभ्यर्थियों को सामान्यत: एक माह पश्चात् आयोग के समक्ष साक्षात्कार के लिये उपस्थित होना होता है।
  • साक्षात्कार के दौरान अभ्यर्थियों के व्यक्तित्व का परीक्षण किया जाता है, जिसमें आयोग के सदस्यों द्वारा आयोग में निर्धारित स्थान पर मौखिक प्रश्न पूछे जाते हैं जिसका उत्तर अभ्यर्थी को मौखिक रूप से देना होता है यह प्रक्रिया अभ्यर्थियों की संख्या के अनुसार एक से अधिक दिनों तक चलती हैं।
  • सी.जी.पी.एस.सी. की इस परीक्षा में साक्षात्कार के लिये कुल 150 अंक निर्धारित किये गए हैं।
  • मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार में प्राप्त किये गए अंकों के योग के आधार पर अंतिम रूप से मेधा सूची (मेरिट लिस्ट) तैयार की जाती है।
  • सम्पूर्ण साक्षात्कार समाप्त होने के सामान्यत: एक सप्ताह पश्चात् अन्तिम रूप से चयनित अभ्यर्थियों की सूची जारी की जाती है।

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छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग FAQs

प्रश्न - 1 : सी.जी.पी.एस.सी. की प्रारम्भिक परीक्षा में ‘छत्तीसगढ़ राज्य विशेष’ के सन्दर्भ में कितने प्रश्न पूछे जाते हैं? इसकी तैयारी कैसे करें?

उत्तर : सी.जी.पी.एस.सी. की प्रारम्भिक परीक्षा के प्रथम प्रश्नपत्र में 'छत्तीसगढ़ राज्य विशेष’ के सन्दर्भ में 50 प्रश्न पूछे जाते हैं। इस प्रश्नपत्र में कुल 100 प्रश्नों में से 50 प्रश्न केवल छत्तीसगढ़ राज्य विशेष के सन्दर्भ में पूछा जाना इस विषय की महत्ता को स्वयं ही स्पष्ट करता है।
‘छत्तीसगढ़ राज्य विशेष’ के सन्दर्भ में छत्तीसगढ़ का इतिहास, कला, संस्कृति, साहित्य, परम्परा, भूगोल, अर्थव्यवस्था, प्रशासनिक ढाँचा, उद्योग, एवं समसामयिक घटनाओं से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते हैं।
इसी प्रकार, प्रारम्भिक परीक्षा के पूरे पाठ्यक्रम का छत्तीसगढ़ राज्य के सन्दर्भ में अध्ययन करना लाभदायक रहता है। छत्तीसगढ़ राज्य विशेष के सन्दर्भ में बाज़ार में उपलब्ध किसी स्तरीय पुस्तक का अध्ययन किया जा सकता है।

प्रश्न - 2 : ‘न्यूनतम अर्हकारी अंक’ (क्वालिफाइंग मार्क्स) क्या है? सी.जी.पी.एस.सी. की प्रारंभिक परीक्षा में इसका निर्धारण कैसे होता है?

उत्तर : ‘न्यूनतम अर्हकारी अंक’ का अर्थ है- वे न्यूनतम अंक जिन्हें प्राप्त किये बिना कोई भी उम्मीदवार परीक्षा में सफल नहीं हो सकता है। सी.जी.पी.एस.सी. की इस परीक्षा में प्रत्येक प्रश्नपत्र में अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को न्यूनतम 33% अर्हकारी अंक तथा आरक्षित वर्ग एवं विकलांग श्रेणी के अभ्यर्थियों को न्यूनतम 23% अर्हकारी अंक प्राप्त करना अनिवार्य होगा। ‘न्यूनतम अर्हकारी अंक’ प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों के लिये कट-ऑफ का निर्धारण किया जाता है। कट-ऑफ या उससे अधिक अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवार सफल घोषित किये जाते हैं और शेष असफल।

प्रश्न - 3 : सी.जी.पी.एस.सी. की प्रारंभिक परीक्षा के दौरान प्रश्नों का समाधान किस क्रम में करना चाहिये? क्या किसी विशेष क्रम से लाभ होता है?

उत्तर : इसका उत्तर सभी के लिये एक नहीं हो सकता। अगर आप सामान्य अध्ययन एवं ‘योग्यता परीक्षण’ (सीसैट) के सभी शीर्षकों में सहज हैं और आपकी गति भी संतोषजनक है तो आप किसी भी क्रम में प्रश्न हल करके सफल हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में बेहतर यही होता है कि जिस क्रम में प्रश्न आते जाएँ, उसी क्रम में उन्हें हल करते हुए बढ़ें। किन्तु अगर आपकी स्थिति इतनी सुरक्षित नहीं है तो आपको प्रश्नों के क्रम पर विचार करना चाहिये। ऐसी स्थिति में आप सबसे पहले, उन प्रश्नों को हल करें जो सबसे कम समय लेते हैं।
यदि आपकी छत्तीसगढ़ राज्य विशेष के सन्दर्भ में पकड़ अच्छी है तो आपको इससे सम्बंधित पूछे जाने वाले 50 प्रश्नों को पहले हल कर लेना चाहिये क्योंकि उनमें समय कम लगेगा और उत्तर ठीक होने की संभावना ज़्यादा होगी। ये 50 प्रश्न हल करने के बाद आपकी स्थिति काफी मज़बूत हो चुकी होगी। इसके बाद, आप तेज़ी से वे प्रश्न हल करते चलें जिनमें आप सहज हैं और उन्हें छोड़ते चलें जो आपकी समझ से परे हैं। जिन प्रश्नों के संबंध में आपको लगता है कि वे पर्याप्त समय मिलने पर किये जा सकते हैं, उन्हें कोई निशान लगाकर छोड़ते चलें।
सीसैट के प्रश्नपत्र में भी यही प्रक्रिया अपनाई जा सकती है। अर्थात उन प्रश्नों को पहले हल कर लेना चाहिये जिसमें समय कम लगता हो और उत्तर ठीक होने की संभावना ज़्यादा होती हो।
एक सुझाव यह भी हो सकता है कि एक ही प्रकार के प्रश्न लगातार करने से बचें। अगर आपको ऐसा लगे तो बीच में ‘तार्किक विवेचन’ एवं गणित के कुछ सवाल हल कर लें उसके बाद अन्य प्रश्नों को हल करें। सभी प्रश्नों के अंक समान होने तथा गलत उत्तर के लिये ऋणात्मक अंकन (Negative marking) के प्रावधान (प्रत्येक गलत उत्तर के लिए सही उत्तर हेतु निर्धारित अंक का 1/3 अंक काटे जायेंगे।) होने के कारण अभ्यर्थियों से अपेक्षा है कि तुक्का पद्धति से बचते हुए सावधानीपूर्वक प्रश्नों को हल करें।

प्रश्न - 4 : सी.जी.पी.एस.सी. की प्रारंभिक परीक्षा में समय-प्रबंधन सबसे बड़ी चुनौती बन जाता है। उसके लिये क्या किया जाना चाहिये?

उत्तर : पिछले प्रश्न के उत्तर में दिये गए सुझावों पर ध्यान दें। उसके अलावा, परीक्षा से पहले मॉक टेस्ट शृंखला में भाग लें और हर प्रश्नपत्र में परीक्षण करें कि किस वर्ग के प्रश्न कितने समय में हो पाते हैं। ज़्यादा समय लेने वाले प्रश्नों को पहले ही पहचान लेंगे तो परीक्षा में समय बर्बाद नहीं होगा। बार-बार अभ्यास करने से गति बढ़ाई जा सकती है।

प्रश्न - 5 : सी.जी.पी.एस.सी. की इस प्रारंभिक परीक्षा में ऋणात्मक अंक के प्रावधान होने का क्या अर्थ है? यह किस प्रकार लागू किया जाता है?

उत्तर : ऋणात्मक अंक के प्रावधान का अर्थ है- प्रश्नों के गलत उत्तर देने पर कुछ अंक दण्ड स्वरुप कम किया जाना। सी.जी.पी.एस.सी. द्वारा आयोजित इस परीक्षा में गलत उत्तर के लिये ऋणात्मक अंकन (Negative marking) का प्रावधान किया गया है। अर्थात प्रत्येक गलत उत्तर के लिए सही उत्तर हेतु निर्धारित अंक का 1/3 अंक काटे जायेंगे।

प्रश्न - 6 : कट-ऑफ' क्या है? इसका निर्धारण कैसे होता है?

उत्तर : ‘कट-ऑफ’ का अर्थ है- वह न्यूनतम अंक जिसे प्राप्त करके कोई उम्मीदवार परीक्षा में सफल होता है। सी.जी.पी.एस.सी. की इस परीक्षा में हर वर्ष प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा तथा साक्षात्कार के परिणाम में ‘कट-ऑफ’ तय की जाती है। ‘कट-ऑफ’ या उससे अधिक अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवार सफल घोषित किये जाते हैं और शेष असफल। आरक्षण व्यवस्था के अंतर्गत यह कट-आॉफ भिन्न-भिन्न वर्गों के उम्मीदवारों के लिए भिन्न-भिन्न होती हैं।
प्रारंभिक परीक्षा में ‘कट-ऑफ’ का निर्धारण प्रथम प्रश्नपत्र सामान्य अध्ययन में प्राप्त किये गए अंकों के योग के आधार पर किया जाता है।
‘कट-ऑफ’ की प्रकृति स्थिर नहीं है। इसमें हर साल उतार-चढ़ाव होता रहता है। इसका निर्धारण सीटों की संख्या, प्रश्नपत्रों के कठिनाई स्तर तथा उम्मीदवारों की संख्या व गुणवत्ता जैसे कारकों के आधार पर होता है। अगर प्रश्नपत्र सरल होंगे, या उम्मीदवारों की संख्या व गुणवत्ता ऊँची होगी तो कट-ऑफ बढ़ जाएगा और विपरीत स्थितियों में अपने आप कम हो जाएगा।

प्रश्न - 7 : सी.जी.पी.एस.सी. की प्रारम्भिक परीक्षा में गणित से कितने प्रश्न पूछे जाते हैं? मैं शुरू से गणित में कमज़ोर हूँ, क्या मैं इस परीक्षा में सफल हो सकता हूँ?

उत्तर : जी हाँ, आप ज़रूर सफल हो सकते हैं। सी.जी.पी.एस.सी. की प्रारंभिक परीक्षा के द्वितीय प्रश्नपत्र (योग्यता परीक्षण) में ‘सामान्य गणितीय कौशल एवं सामान्य मानसिक योग्यता’ से लगभग 15 -20 प्रश्न पूछे जाते हैं जो मुख्यतः मैट्रिक स्तर के होते हैं। इन प्रश्नों की प्रकृति साधारण होती है अत: थोड़ा प्रयास करने से हल हो जाते हैं। हो सके तो तार्किक विवेचन में कुछ ऐसे टॉपिक तैयार कर लीजिये जो आपको समझ में आते हैं और जिनसे प्रायः सवाल भी पूछे जाते हैं। उदाहरण के लिये, अगर आप सारणीयन (tabulation) और पाई-चित्र (pie diagram) का अभ्यास कर लेते हैं तो 5-8 प्रश्न आसानी से ठीक कर लेंगे। अत: गणित में कमजोर होने के बावजूद इनका अभ्यास करके आप आसानी से आधे से अधिक प्रश्नों को सही कर सकते हैं।

प्रश्न - 8 : क्या सभी प्रश्नों के उत्तर को ओ.एम.आर. शीट पर एक साथ भरना चाहिये या उत्तर चयन के साथ-साथ भरते रहना चाहिये?

उत्तर : बेहतर होगा कि 4-5 प्रश्नों के उत्तर निकालकर उन्हें शीट पर भरते जाएँ। हर प्रश्न के साथ उसे ओ.एम.आर. शीट पर भरने में ज़्यादा समय खर्च होता है। दूसरी ओर, कभी-कभी ऐसा भी होता है कि कई उम्मीदवार अंत में एक साथ ओ.एम.आर. शीट भरना चाहते हैं पर समय की कमी के कारण उसे भर ही नहीं पाते।
ऐसी दुर्घटना से बचने के लिये सही तरीका यही है कि आप 4-5 प्रश्नों के उत्तरों को एक साथ भरते चलें। सीसैट के प्रश्नों में प्रायः एक अनुच्छेद या सूचना के आधार पर 5-6 प्रश्न पूछे जाते हैं। ऐसी स्थिति में वे सभी प्रश्न एक साथ कर लेने चाहिये और साथ ही ओ.एम आर. शीट पर भी उन्हें भर दिया जाना चाहिये। चूँकि गोलों को काले या नीले बॉल पॉइंट पेन से भरना होता है, अत: उन्हें भरते समय विशेष सावधानी रखें। व्हाइटनर का प्रयोग कदापि न करें।

प्रश्न - 9 : क्या ‘मॉक टेस्ट’ देने से प्रारम्भिक परीक्षा में कोई लाभ होता है? अगर हाँ, तो क्या ?

उत्तर : प्रारम्भिक परीक्षाओं के लिये मॉक टेस्ट देना अत्यंत लाभदायक सिद्ध होता है। इसका पहला लाभ यह है कि आप परीक्षा में होने वाले तनाव (Anxiety) पर नियंत्रण करना सीख जाते हैं। दूसरे, समय प्रबंधन की क्षमता बेहतर होती है। तीसरे, अलग-अलग परीक्षाओं में आप यह प्रयोग कर सकते हैं कि प्रश्नों को किस क्रम में करने से आप सबसे बेहतर परिणाम तक पहुँच पा रहे हैं। इन प्रयोगों के आधार पर आप अपनी परीक्षा संबंधी रणनीति निश्चित कर सकते हैं। चौथा लाभ है कि आपको यह अनुमान होता रहता है कि अपने प्रतिस्पर्द्धियों की तुलना में आपका स्तर क्या है? ध्यान रहे कि ये सभी लाभ तभी मिलते हैं अगर आपने मॉक टेस्ट शृंखला का चयन भली-भाँति सोच-समझकर किया है।

प्रश्न - 10 : मैं हिंदी व्याकरण में शुरू से ही अपने को असहज महसूस करता हूँ, क्या मैं सी.जी.पी.एस.सी. की मुख्य परीक्षा में सफल हो पाऊँगा?
उत्तर : जी हाँ, आप ज़रूर सफल हो सकते हैं। सी.जी.पी.एस.सी. की मुख्य परीक्षा में प्रथम प्रश्नपत्र भाषागत ज्ञान से सम्बंधित है जिसमें ‘सामान्य हिंदी’ के संबंध में कुल 100 अंकों के प्रश्न पूछे जाते हैं, जिसका उत्तर आयोग द्वारा दी गई उत्तर-पुस्तिका में लिखना होता है। इसके पाठ्यक्रम में मुख्य रूप से बोध, संक्षिप्त लेखन एवं व्याकरण (पर्यावाची, मुहावरा, संधि, समास, तत्सम इत्यादि ) इत्यादि शामिल हैं। सच यह है कि हिंदी व्याकरण के यह प्रश्न काफी आसान होते हैं और एक सामान्य विद्यार्थी भी इसका नियमित अभ्यास करके औसत अंक प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिये बाज़ार में उपलब्ध हिंदी व्याकरण की किसी स्तरीय पुस्तक का अध्ययन किया जा सकता है।

प्रश्न - 11 : मैं अंग्रेज़ी में शुरू से ही कमजोर हूँ, क्या मैं सी.जी.पी.एस.सी. की मुख्य परीक्षा में सफल हो पाऊँगा?

उत्तर : जी हाँ, आप ज़रूर सफल हो सकते हैं। मुख्य परीक्षा में प्रथम प्रश्नपत्र भाषागत ज्ञान से सम्बंधित है जिसमें ‘सामान्य अंग्रेज़ी’ के संबंध में कुल 50 अंकों के प्रश्न पूछे जाते हैं, जिसका उत्तर आयोग द्वारा दी गई उत्तर-पुस्तिका में लिखना होता है। इसके पाठ्यक्रम में मुख्य रूप से अंग्रेजी व्याकरण, कॉम्प्रिहेंशन, ट्रांसलेशन, प्रेसी राइटिंग, लेटर राइटिंग, इत्यादि शामिल हैं। सच तो यह है कि ये प्रश्न बहुत ही आसान भाषा में दिये गए होते हैं और एक सामान्य विद्यार्थी भी इसका नियमित अभ्यास करके अच्छा अंक प्राप्त कर सकता है। इसके लिये बाज़ार में उपलब्ध ‘अंग्रेजी व्याकरण’ की किसी स्तरीय पुस्तक का अध्ययन किया जा सकता है।

प्रश्न - 12 : मैं छत्तीसगढ़ राज्य का निवासी नहीं हूँ और न ही मुझे छत्तीसगढ़ी भाषा आती है, क्या मैं सी.जी.पी.एस.सी. की मुख्य परीक्षा में सफल हो पाऊँगा?

उत्तर : जी हाँ, आप ज़रूर सफल हो सकते हैं। मुख्य परीक्षा में प्रथम प्रश्नपत्र भाषागत ज्ञान से सम्बंधित है जिसमें ‘छत्तीसगढ़ी भाषा’ के संबंध में कुल 50 अंकों के प्रश्न पूछे जाते हैं, जिसका उत्तर आयोग द्वारा दी गई उत्तर-पुस्तिका में लिखना होता है। इसके पाठ्यक्रम में मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ी भाषा का विकास, व्याकरण, प्रशासनिक शब्दकोष एवं साहित्य इत्यादि शामिल हैं। प्रथम प्रश्नपत्र कुल 200 अंकों का होता है, उसमें यदि छत्तीसगढ़ी भाषा (50 अंक) में थोड़े कम अंक भी प्राप्त होते हैं और शेष भाग में तुलनात्मक रूप से अच्छे अंक प्राप्त कर लिया जाए तो भी इस परीक्षा में आसानी से सफलता सुनिश्चित की जा सकती है। सच तो यह है कि छत्तीसगढ़ी भाषा के ये प्रश्न बहुत ही आसान भाषा में दिये गए होते हैं और एक सामान्य विद्यार्थी भी इसका नियमित अभ्यास करके अच्छा अंक प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिये बाज़ार में उपलब्ध छत्तीसगढ़ी भाषा, की किसी स्तरीय पुस्तक का अध्ययन किया जा सकता है।

प्रश्न - 13 : सी.जी.पी.एस.सी. की मुख्य परीक्षा में निबंध के प्रश्नपत्र की क्या भूमिका है? इसमें अच्छे अंक प्राप्त करने के लिये क्या रणनीति अपनाई जानी चाहिये?

उत्तर : सीजीपीएससी की मुख्य परीक्षा में द्वितीय प्रश्नपत्र ‘निबंध लेखन’ से सम्बंधित है। इसमें दो भाग (राष्ट्रीय स्तर की समस्याएँ एवं छत्तीसगढ़ राज्य की समस्याएँ) होते हैं। प्रत्येक भाग से चार समस्याएँ दी जाती हैं। इसमें अभ्यर्थी को कुल चार समस्याओं (प्रत्येक भाग से दो समस्या) पर अधिकतम 3 घंटे की समयावधि में, आयोग द्वारा दिये गए उत्तर-पुस्तिका में निबंध (कारण, वर्तमान स्थिति आँकड़ों सहित एवं समाधान) लिखना होता है। प्रत्येक निबंध के लिये लगभग 750 शब्द सीमा एवं अधिकतम 50 अंक निर्धारित किया गया है। सीजीपीएससी की मुख्य परीक्षा में कुल 1400 अंकों में हिंदी निबंध के लिये 200 अंक निर्धारित होना इस विषय की महत्ता एवं अंतिम चयन में सहभागिता को स्वयं ही स्पष्ट करती है।
निबंध लेखन के माध्यम से किसी व्यक्ति की मौलिकता एवं व्यक्तित्व का परीक्षण किया जाता है। वास्तव में निबंध लेखन एक कला है, जिसका विकास एक कुशल मार्गदर्शन में सतत् अभ्यास से किया जा सकता हैं। पूर्व में निबंध के लिये बाज़ार में कोई स्तरीय पुस्तक उपलब्ध नही होने के कारण इसके लिये अध्ययन सामग्री की कमी थी। लेकिन हाल ही में दृष्टि पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित‘निबंध-दृष्टि’ पुस्तक ने इस कमी को दूर कर दी है। इस पुस्तक में लिखे गए निबंध न केवल परीक्षा के दृष्टिकोण से श्रेणी के अनुसार विभाजित हैं बल्कि प्रत्येक निबंध की भाषा-शैली एवं अप्रोच स्तरीय है। इसके अतिरिक्त इसमें अच्छे अंक प्राप्त करने के लिये आप परीक्षा से पूर्व इससे सम्बंधित किसी मॉक टेस्ट शृंखला में सम्मिलित हो सकते है। अगर संभव हो तो ‘दृष्टि द विज़न संस्थान’, में चलाई जाने वाली निबंध की क्लास में भाग ले सकते हैं ।

प्रश्न - 14 : सी.जी.पी.एस.सी. द्वारा आयोजित इस परीक्षा में साक्षात्कार की क्या भूमिका है? इसकी तैयारी कैसे करें?

उत्तर : सी.जी.पी.एस.सी. की इस परीक्षा में साक्षात्कार के लिये कुल 150 अंक निर्धारित किये गए हैं। चूँकि मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार में प्राप्त किये गए अंकों के योग के आधार पर ही अंतिम रूप से मेधा सूची (मेरिट लिस्ट) तैयार की जाती है, इसलिये इस परीक्षा में अंतिम चयन एवं पद निर्धारण में साक्षात्कार की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।
साक्षात्कार के दौरान अभ्यर्थियों के व्यक्तित्व का परीक्षण किया जाता है, जिसमें आयोग के सदस्यों द्वारा आयोग में निर्धारित स्थान पर मौखिक प्रश्न पूछे जाते हैं जिसका उत्तर अभ्यर्थी को मौखिक रूप से देना होता है। सी.जी.पी.एस.सी. के साक्षात्कार में आप सामान्य परिस्थितियों में आसानी से 40-70% अंक प्राप्त कर सकते हैं। यद्यपि साक्षात्कार इस परीक्षा का अंतिम चरण है, लेकिन इसकी तैयारी प्रारंभ से ही शुरू कर देना लाभदायक रहता है। वास्तव में किसी भी अभ्यर्थी के व्यक्तित्व का विकास एक निरंतर प्रक्रिया है।

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